सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जिला अधिकारी गोरखपुर को सौंपा ज्ञापन — माता काली मंदिर जिर्णोद्धार एवं भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की मांग

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सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने जिला अधिकारी गोरखपुर को सौंपा ज्ञापन — माता काली मंदिर जिर्णोद्धार एवं भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराने की मांग

गोरखपुर। विकास खंड पिपरौली, तहसील सहजनवां के ग्राम कोलिया दक्षिणी में स्थित सदियों पुराना ऐतिहासिक माता काली मंदिर आज जर्जर अवस्था में खंडहर बन चुका है। स्थानीय ग्रामीणों की वर्षों पुरानी आस्था का केंद्र यह मंदिर बाढ़ में क्षतिग्रस्त होकर ढह गया था। मंदिर से जुड़ी भूमि आज अवैध कब्जाधारियों के कब्जे में है, जिससे ग्रामीणों में गहरा आक्रोश व्याप्त है।

इस गंभीर समस्या को लेकर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के पदाधिकारियों एवं ग्रामीणों ने संयुक्त रूप से जिला अधिकारी गोरखपुर को एक ज्ञापन सौंपा है, जिसमें माता काली मंदिर की भूमि का सीमांकन, अवैध कब्जे से मुक्ति एवं मंदिर के पुनर्निर्माण की मांग की गई है।

ज्ञापन में बताया गया कि ग्राम कोलिया दक्षिणी के आराजी संख्या 627 (क्षेत्रफल 0.050 हे.) तथा आराजी संख्या 658 (क्षेत्रफल 0.58 हे.), जहाँ मंदिर व खेल का मैदान स्थित है, का लगभग 30 वर्ष पूर्व बंदोबस्त हुआ था। उस समय कानूनगो मुहम्मद शेख रज्जब थे, तथा बाद में चकबंदी के समय (लगभग 15 वर्ष पूर्व) कानूनगो मुहम्मद हासमी साहब रहे। परंतु दोनों अधिकारियों की लापरवाही के कारण मंदिर का नाम नक्शे और खतौनी में दर्ज नहीं किया गया, जिसके चलते मंदिर भूमि पर विवाद उत्पन्न हो गया।

ग्रामीणों का कहना है कि नगीना पुत्र संतलाल, राजकुमार पुत्र मनोहर, दिनेश पुत्र सिनोहर आदि दबंग किस्म के लोग मंदिर की भूमि पर जबरन कब्जा किए हुए हैं और मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रयास करने पर मारपीट व धमकी तक देते हैं।

ग्रामवासियों ने यह भी बताया कि वर्ष 2012 से अब तक दो बार मंदिर भूमि की पैमाइश कराए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई थी, तहसील दिवस से लेकर मुख्यमंत्री जनसुनवाई तक कई बार प्रार्थना पत्र दिए गए, किंतु अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं हुआ है।

माता काली मंदिर का इतिहास भी अत्यंत प्राचीन है — ग्रामीणों के अनुसार लगभग 150 वर्ष पूर्व यह मंदिर ग्राम कोलिया (उत्तरी व दक्षिणी) तथा बरहुआ यादव टोला के बीच स्थित था। राप्ती नदी के कटान के समय जब पूरा गाँव नदी की धारा में समा गया, तब भी माता काली का स्थान सुरक्षित रहा। यही कारण है कि यह स्थान आज भी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक माना जाता है। लगभग 45 वर्ष पूर्व गाँव के लोगों ने मिलकर इस स्थल पर एक पक्का मंदिर बनवाया था।

लेकिन प्रशासनिक लापरवाही और स्थानीय दबंगों के कब्जे के कारण आज मंदिर का अस्तित्व संकट में है। ग्रामीणों और सुहेलदेव समाज पार्टी के प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से आग्रह किया है कि—

1. माता काली मंदिर की भूमि की राजस्व अभिलेखों में पैमाइश एवं नामांकन सुनिश्चित किया जाए।

2. अवैध कब्जाधारियों को हटाकर भूमि को मुक्त कराया जाए।

.3 माता काली मंदिर का जिर्णोद्धार व पुनर्निर्माण सरकारी संरक्षण में कराया जाए।

ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, तो वे आंदोलन करने को बाध्य होंगे।

जय माँ काली — जय सुहेलदेव समाज पार्टी

(रिपोर्ट : विकास खंड पिपरौली, तहसील सहजनवां, जिला गोरखपुर)

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